आरटीआई कार्यकर्ता तांबी ने कहा आजादी अभी अधूरी है
जयपुर ग्रामीण संवाददाता मनोज कुमार टांक की रिपोर्ट
जयपुर ग्रामीण (राज.)
शाहपुरा शहर के सुप्रसिद्ध लोकप्रिय और मशहूर आरटीआई कार्यकर्ता, विशल ब्लोअर एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया न्यूज़ फ्लैश के जयपुर ग्रामीण सीनियर जर्नलिस्ट विजय तांबी ने एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर कहा कि आजादी अभी अधूरी है 1947 में हमें अंग्रेजों से आजादी मिली थी लेकिन अब गोरे अंग्रेजों की जगह काले अंग्रेजों ने ले ली है हमें आजादी चाहिए कट्टरपंथी विचारधारा से, धार्मिक उन्माद से, हमें आजादी चाहिए भ्रष्टाचार से, आतंकवाद से, टुकड़े-टुकड़े गैंग से, विभाजनकारी और विभेदनकारी तत्वों से, हमें आजादी चाहिए धीमी न्याय व्यवस्था से। आज आम गरीब आदमी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकारों के लिए अपने हक के लिए कैस नहीं लड़ सकता है इतना महंगा न्याय हो गया है, हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की फीस लाखों करोड़ों में होती है न्याय व्यवस्था ऐसी लगती है जैसे न्याय सिर्फ पैसों वालों के लिए रह गया है आम गरीब से न्याय बहुत दूर है और देर से मिला हुआ न्याय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है, नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है। जिस दिन पंक्ति मैं खड़े गरीब आम आखिरी व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से सस्ता और सुलभ न्याय मिलने लग जाएगा
उस दिन लगेगा कि सही मायनो में आजादी मिली है अन्यथा अभी आजादी अधूरी है। मुख्य वक्ता के तौर पर तांबी ने कहा कि ज्यूडिशरी सिस्टम को ठीक करने की आवश्यकता है, अदालतों की संख्या बढ़ाई जाए, रियल टाइम फ्रेम में न्याय हो, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की छुट्टियां भी कम की जाए। आज सिविल केस 50-50 साल चलते हैं, एक पीढ़ी गुजर जाती है अगर दूसरी पीढी को न्याय मिल भी जाता है तो वह न्याय कैसा हुआ, क्या इसे जायज ठहराया जा सकता है? हालांकि बीजेपी की केंद्र सरकार ने कई कानून में अमेंडमेंट किए हैं और सुधार किए हैं लेकिन अभी और आवश्यकता है सुधारो की। आरटीआई एक्टिविस्ट के भाषण के पश्चात जमकर तालियां बजी और लोगों ने भाषण की जमकर प्रशंसा की। इस दौरान एक्टिविस्ट का प्रतीक चिन्ह, माला पहनाकर स्वागत किया गया। इस दौरान क्षेत्र का इंटेलेक्चुअल वर्ग, डॉक्टर ,पत्रकार, वरिष्ठ नागरिक, बौद्धिक वर्ग, विद्वानजन ,साहित्यकार, लेखक ,कवि, अधिवक्ता, स्टूडेंट, टीचर एवं अभिजात्य वर्ग विशाल समूह में उपस्थित रहा।